कौन सा रत्न कितने समय तक पहन सकते हैं ?, जाने क्या है रत्नों के प्रभाव का समय ?
तो बदल डालिए अपना रत्न
प्रायः ग्रहों को अनुकूल करने के लिए हम रत्न धारण करते हैं। लेकिन इन रत्नों का प्रभाव एक निश्चित समय के बाद क्षीण हो जाता है। इसलिए इन्हें एक अवधि के बाद बदल देना चाहिए
ग्रह विशेष को अनुकूल करने के लिए अक्सर लोग किसी न किसी रत्न को धारण करते हैं। क्योंकि इसको धारण करने से व्यक्ति को ग्रह जनित परेशानियों से छुटकारा मिलता है। ज्योतिषी की माने तो कोई भी रत्न एक निश्चित समय अवधि तक ही प्रभावी होते हैं। इसके बाद यह रत्न निष्क्रिय और प्रभाव हीन हो जाते हैं। इसलिए रत्नों को प्रभावशाली बनाने के लिए फिर से उनकी प्राण प्रतिष्ठा करवानी चाहिए या नया रत्न धारण करना चाहिए। नवग्रह रत्नो का प्रभावशाली समय कितने वर्ष, माह, दिन का है, आईये जाने
माणिक्य: सूर्य रत्न माणिक्य का प्रभाव धारण करने के दिन से 4 वर्ष का है। कहीं-कहीं इसकी अवधि 3 माह 18 दिन भी बताई गई है। इसके बाद यह निष्क्रिय हो जाता है।
मोती: चंद्र रत्न मोती धारण करने के दिन से सवा 2 साल तक प्रभाव रहता है। दोबारा इसे सक्रिय करने के लिए प्राण- प्रतिष्ठित करवाएं और फिर धारण करें।
मूंगा: मंगल रत्न मूंगे का प्रभाव 3 वर्ष बताया गया है। इसके बाद इसका प्रभाव शून्य हो जाता है। इसे फिर से सक्रिय करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा करवाएं या दूसरा मूंगा धारण करें।
पन्ना: बुद्ध रत्न पन्ना की आयु 4 साल है। तदुपरांत यह निष्क्रय हो जाता है। फिर से दूसरा धारण करें या प्राण-प्रतिष्ठा करवाएं।
पुखराज: बृहस्पति रत्न पुखराज का प्रभाव धारण करने से 4 साल तक रहता है। इसके बाद यह निष्क्रय हो जाता है। सक्रिय करने के लिए इसकी प्राण-प्रतिष्ठा करवाएं।
हीरा: शुक्र के रत्न हीरे की आयु 7 वर्ष है। तत्पश्चात यह निष्क्रय हो जाता है।
नीलम: शनि रत्न नीलम धारण करने के दिन से 5 वर्ष तक प्रभावशाली रहता है। अन्य मतानुसार 3 वर्ष 3 दिन विशेष प्रभावी रहता है। समय अवधि बीतने के बाद दोबारा प्राण-प्रतिष्ठा कराएं तभी इसका लाभ प्राप्त होगा।
गोमेद: राहु रत्न गोमेद धारण करने के दिन से 3 वर्ष तक प्रभावी होता है। इसके बाद यह निष्क्रिय हो जाता है। दूसरा गोमेद धारण करें या प्राण प्रतिष्ठा कराएं।
लहसुनिया: केतु रत्न लहसुनिया पहनने के दिन से तीन वर्षों तक प्रभावशाली रहता है। अन्य मतानुसार चार माह २७ दिन विशेष प्रवाव डालता है। इसके बाद निष्क्रिय हो जाता है। सक्रिय करने के लिए रत्न की प्राण-प्रतिष्ठा करवाए या नया रत्न पहने।